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लेखनी कहानी -12-Feb-2022 (डरना जरूरी है )

(3) डरना जरूरी है।

अनामिका का तबादला हुआ वो ऐसे गाँव मे जा रही थी जहाँ उसे जाने का रास्ता ही नही पता था । वहां जाने के लिए कोई बस नही कोई रेलगाड़ी नही अगर जाना है तो आपको स्पेशल गाड़ी बुक कर के जाना होता है। 

अब वो गाड़ी बुक करने में लग गई..?

पर उसने जिस किसी से भी इस गाँव का जिक्र किया वो पहले 3 बार तो पूछता ...?
कहता मैडम...
आप सच मे वहां जाना चाहती हो..
उस गाँव के बारे में आपको पता नही..?
नही मैडम मैं वहां नही जा सकता...?
ऐसा एक ने नही जितनो को हमने फोन किया सब का एक ही जवाब था ।
नही..... नही..... नही ......
आपको पता नही उस गाँव के बारे में...
कोई बताता ही नही और फोन को स्विच ऑफ कर देता ।।

अब मुझे थोड़ा डर घबराहट होने लगी ..
मैंने अपने बड़े अफसर को फोन मिलाया पूरी जानकारी दी पूरी घटना बताई ..?
और कही मेरा तबादला करा दो...?
पर सर ने मना कर दिया ।

अनामिका तेरा तबादला और कहि नही हो सकता तूने अभी तो नॉकरी ज्वाईन की हो 3 से 5 साल तुम्हे वही रहना होगा । 
देखता हूं अगर एक साल में तेरा तबादला कहि और शहर या गाँव मे हो जाये।
पर हुआ नही ऐसा।
सर ने एक ड्राइवर का नंबर हमे भेजा कहा इसे बात कर लो ये तुम्हे उस गाँव तक ले जाएगा ।
ड्राइवर --- मंगेश 
अनामिका ने मंगेश को फोन किया बताता उसने कहां ठीक है मेंम आप कब जाएंगी ..?
अभी आज ही निकलना है..?
उसने हाँ कहां पैसे पूछे तो 3000 मांगे मैंने कहां ठीक है ।
लोकेशन सेंड कर रही हूँ तुम अपनी गाड़ी लेकर आ जाना।
जरूरत का सामना गाड़ी में डाल दिये और निकल गए ।
रास्ते मे उस मंगेश ने उस गाँव के बारे में बताया जब मैने उसे 
पैसे का लालच देकर पूछा तो उसने मुझे बताया।

उसकी बात सुनकर मेरे तो पैरों तले जमीं निकल गई ।
हे भगवान..!
ये मैं कहाँ आकर फस गई..?
तब तक वो उस गाँव मे मुख्य दरवाजे के पास आ गए थे ।
मंगेश ने कहां मेम मैं और आगे नही जा सकता ।
यहां से आपको आगे पैदल ही जाना होगा ।
और उसने हमें उतार दिया ।
जब मैं पीछे मुड़कर देखी तो ना मंगेश था ना उसकी गाड़ी।
अब तो हवा सर.....
सर....
सर....
शाम हो गई थी ....
कुत्ते की भौकने की आवाज.....
पत्तो और तिलचट्टे की टर्र....टर्र....आवाज

मेरे तो होश उड़ गए समझ नही आ रहा था क्या करूँ ।
फोन में टावर नही किसे फोन करू...
मद्दद भी किस से मागे...
आसपास कोई हो तो ...
सन्नटा पसर गया था।
मैं चले जा रही थी ..
बेल गाड़ी की आवाज आ रही थी ।
मुड़कर देखा तो जान में जान आई
उसने मदद माँगा ।
उसने हमें उस गाँव मे लेकर गए ।
जब उस बेलगड़ी मे उतरी तो वो भी मंगेश की तरह 
गायब हो गया ।
फिर तो मैं पूरा डर गई मुझे समझ आ गया ये गाँव कोई साधरण गाँव नही कोई कृदन्त कहानी नही ।
कोई सपना नही ।
सब हकीकत है।
घबराहट इतनी हो रही थी कि क्या बताये ।
वापस जा नही सकती और यहां रह भी नही सकती ।
मैंने आसपास देखा कोई नही था । 
पता नही अचानक एक चपरासी आ गया अपनी ड्रेस में ।
मैंने पूछा कौन हो ...
उसने बताता अनामिका मेडम मैं आप का चपरासी हू।
आपका रहने का इंतिजाम कर दिया है।
और समान लेकर अपने क्वाटर की तरफ बढ़ने लगे ।
चपरासी -----/- बबलू
आने में कोई दिक्कत तो नही हुई मेडम ...
मंगेश ने सही सही तो पहुँचा दिया ....
ज्यादा तेज तो नही चलाया ना उसने ....
ये सब सुन मैं अनामिका वही बेहोश हो गई....
अगले दिन जब होश आया तो मैं अपने बेड पर अपने घर पर थी । 
मुझे समझ नही आ रहा था। 
ये सब सच है ।
या मेरा कोई ख्याल
या मेने कोई सपना देखा 
या फिर वो सब सच था।
आखिर मेरा तबादला हुआ है भी की नही।
फिर मैंने अपने बड़े अफसर को फोन किया।
बड़े अफसर -----/////उसने कहां 
हेलो अनामिका ...
कैसे हो आज तुम ज्वाईन करने 
"आरएम ज़ाम गाँव" नही आई हो....?
मैं उसी गाँव मे हूँ....
तुम कहाँ हो...
मंगेश कल नही आया था ...?
वो आज आएगा जल्दी आ जाना...?
ये सब सुनकर मैं फिर से बेहोश हो गई...?
जितना समझने की कोशिश कर रही थी उतना उलझती जा रही थी और दौरे पड़ने लगे बेहोश हो गई।
जब आँख खुली तो मैं उस गाँव मे थी उस क्वाटर के बेड में 
सुबह हो रही थी बड़े अफसर मेरे साथ वही मेरे पैर के पास वाले टूटी से बेंच में बैठे थे ।
मंगेश भी वही था ।
वो चपरासी .....बबलू ...भी वही था..?
और बात इतनी अजीब थी कि बताती तो किसे जब जब बेहोश होती तो कभी घर मे आँख खुलती तो कभी 
"आरएम ज़ाम गाँव" में 
 ये आज तक ऐसे ही चल रहा जैसे में उन गाँव और अपने घर के किसी एक समय मे अटक सी गई हूं।
क्या सच है...
क्या ख़्वाब...?
समझ मे कुछ नही आ रहा....
अनसुलझी सी कहानी....????
आखिर क्या है उस गाँव मे क्या हुआ अनामिका के साथ ।
यह तो आज तक कोई जान नही पाया। ये गुत्थी कभी सुलझी ही नही एक राज बनकर ही रह गई  ऐसी गहरी राज जीसे कोइ सुलझा ना सके ।
फिर कभी कोई इस गाँव की तरफ मुड़कर नही देखा ।
बस इटना पता चला वो सर मतलब बड़े अफसर पहले आदमी थे इस गाँव मे आने वाले ।
दूसरे वो मंगेश ....ड्राइवर
तीसरे चपरासी .....बबलू
चौथे वो बेलगाड़ी वाला शख्स..
जिसकी आज तक जिक्र ही नही हुआ ।
ये सिर्फ एक अफवाह है या सच इसे किसी ने आज तक जानना नही चाहा ना ये सुलझाना चाहा आखिर ये सब कहा गायब हो गए है।

बस एक डर सा बना गया है ...?
ऐसा डर ..
की क्या ही बताये..?

"आर'एम ज़ाम गाँव"

(यह एक काल्पनिक कहानी है। इसका किसी भी जीवित मृत व्यक्ति वस्तु से कोई समानता नही है । अगर सँजोग वश समानता होती है तो इसे मात्र एक सयोग कहा जायेगा । )

©® प्रेमयाद कुमार नवीन
जिला - महासमुन्द (छःग)

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